एक छोटे से गांव की पंगडंडी से शुरू सफर का 47 वां साल
आलेख :- सुश्री सुलेखा भोभाटकर
बैतूल जिले के एक छोटे से गांव रोंढ़ा में 23 मई 1964 को सेवानिवृत वनपाल श्री दयाराम पंवार एवं श्रीमति कसिया बाई पंवार के ज्येष्ठï पुत्र के रूप में जन्मे रामकिशोर पंवार चार भाई और दो बहनों के परिवार के सदस्य है। रोहित - मोहित के पापा रामकिशोर पंवार उर्फ रामू ने अपने स्कूली दौर से ही कोयलाचंल पाथाखेड़ा से पत्रकारिता की शुरूआत की थी । जिले के आज संघर्षशील - जुझारू पत्रकारो में स्थापित श्री पंवार ने बैतूल से निकलने वाले साप्ताहिक समाचार पत्रो स्वर्गीय कामता प्रसाद मालवीय के बैतूल समाचार एवं धनराज मालवीय के बैतूल टाइम्स से की , लेकिन वे कुछ ही समय बाद बैतूल जिले के आज के वरिष्ठï पत्रकार एवं उस समय के दैनिक भास्कर के जाने - माने प्रेस फोटोग्राफर हारूण भाई एवं दैनिक भास्कर जिला प्रतिनिधी अजय कुमार वर्मा के प्रयासो से दैनिक भास्कर जैसे समाचार पत्र से जुड़ गये। श्री पंवार मात्र 20 साल की सबसे कम उम्र दैनिक भास्कर के पत्रकार बनने वाले प्रदेश के एक मात्र पत्रकार थे। उस समय स्कूल पढऩे जाने के बाद समाचार पत्रो के हाकर से पत्रकार बने रामकिशोर पंवार ने बैतूल जिले में अपनी पत्रकारिता के 25 वर्षो का संघर्ष भरा सफर तय किया। आज श्री पंवार जिले के एक मात्र ऐसे स्वंतत्र पत्रकार एवं लेखक है जिसके राष्टï्रीय स्तर के समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओं में लगातार समाचार - आलेख - रिर्पोट - सत्यकथाये - कहानियाँ प्रकाशित होती चली आ रही है। चाहे बात देश की जाने - मानी हिन्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय मासिक पत्रिका कादिम्बनी में ''विचित्रता से भरे भारत के गांव '' नामक शीर्षक से प्रकाशित लेख को लेकर पाठको के ढेर सारे पत्रो के माध्यम से मिली सराहना के अलावा स्वंय कादिम्बनी के संपादक एवं देश के जाने - माने साहित्यकार कन्हैयालाल नंदन का इस लेख को लेकर किये गये गांवो के रोचक तथ्यो के संकलन पर मिला उत्साह वर्धक आर्शिवाद श्री पंवार की कम उम्र में आसमान के छुने की अभिलाषा को सार्थक कर गया। इसी कड़ी में भारतीय हिन्दी भाषा की एक अन्य उत्कृट साहित्यीक पत्रिका नवनीत मुम्बई में भी आपके लेख प्रकाशित हुये। देश - प्रदेश की दर्जनो पत्रिकाओं में अपराध जगत एवं रहस्य रोमांच से जुड़ी सत्यकथायें आज भी छपती चली आ रही है। बैतूल ही नहीं आसपास के आधा दर्जन जिलो से वे एक मात्र ऐसे सत्यकथा लेखक एवं कहानीकार रहे जिनकी देश की जानी - मानी की हिन्दी एवं अग्रेंजी पत्रिकाओं में कहानियां छपी है। नई सदी प्रकाशन दिल्ली की मासिक पत्रिका मधुर कथाये एवं आग्ंल मासिक पत्रिका क्राइम एण्ड डिट्रेक्टीव में आपकी कहानियो का अग्रेंजी अनुवाद करके कई कहानियां प्रकाशित हुई। मध्यप्रदेश में पहली बार किसी दैनिक समाचार पत्र दैनिक जागरण भोपाल द्घारा शुरू की गई साप्ताहिक सत्यकथा में लगातार पांच वर्षो से श्री पंवार की दर्जनो सत्यकथायें प्रकाशित हुई। आपकी बहुचर्चित सत्यकथाओं में ''अला और बला '', ''खजाने की खोज में '', ''कल फिर आऊंगी'', ''कटे हाथ वाला '' , ''बाबा कहां गया.... '', ''काला गुलाब '' का नाम प्रमुख है। आपकी सीधी जिले के कुसमी ब्लाक के हरई गांव की ''जहाँ 35 साल से कोई बच्चा पैदा नहीं हुआ '' शीर्षक से हरई ग्राम से लौट कर लिखी गई सचित्र रिर्पोट भारत के प्रमुख समाचार पत्रो में सुर्खियो में छाई रही। बैतूलवी पत्रकारिता के सशक्त आधार केन्द्र रहे रामकिशोर पंवार ने पूरे देश भर में घुम - घुम कर अपनी सचित्र रिर्पोट - लेख - आलेख - डायरी एवं खोजपूर्ण खबरो को जन मानस तक लाने का प्रयास किया। कोयलाचंल पाथाखेड़ा की कोयला मजदुरो की समस्या हो या फिर सारनी ताप बिजली घर की राख से प्रदुषित हो चुकी देनवा नदी के संरक्षण की पहल हर विषय पर अपनी तीखी लेखनी के रूप चर्चित पत्रकार रहे। इंडियन फेडरेशन आफ वर्किग जर्नलिस्ट यूनियन आई एफ डब्लयू जे की राष्टïरीय कार्यसमिति के सदस्य रहे रामकिशोर पंवार बैतूल जिले से नेपाल में आयोजित इंटरनेशनल जर्नलिस्ट यूनियन के सम्मेलन में भी अपने जिले का प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में भारत के प्रमुख राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक पंजाब केसरी के बैतूल जिले के ब्यूरो के रूप में कार्यरत श्री पंवार बैतूलवी पत्रकारिता की नींव के उन पत्थरो में से एक है जिसे लोगो ने भले ही कोयला खदान का काला पत्थर समझा हो , लेकिन उन्हे जिले से बाहर कोयला खदानो से निकले हीरे के रूप में ख्याति मिली। उनकी लेखनी का आज उनके प्रति वैमनस्ता रखने वाले उनके प्रतिद्घंदी भी तारीफ करते नही थकते। बैतूल जिले से देश - विदेश में सेहरा के भविष्य वक्ता कुंजीलाल के 12 घंटे के लाईव प्रसारण में कुंजीलाल के बाद सबसे अधिक चर्चित रहे पंवार ने इस प्रकरण पर अपनी बेबाक राय और प्रतिक्रिया के दौर में देश भर के टीवी न्यूज चैनलो पर अपनी धाक बनाये रखी। श्री पंवार ने बैतूल जिले से कई ऐसे सवालो को राष्टï्रीय स्तर पर बहस का मौका दिया। आज इन्ही सवालो को लेकर आज भी यदा - कदा बहस भी छिड़ती रहती है। सूर्यपुत्री मां ताप्ती के बारहंिलंग से भगवान मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के वन प्रस्थान का मामला हो या फिर सारनी के चमत्कारिक संत बाबा मठारदेव की नगरी सारनी में आने वाले मंत्रियो के पदमुक्त होने की बात ..... हर विषय पर श्री पंवार ने अपनी लेखनी का पैना पन बरकरार रखा। सीवन पाट की लड़कियो के दांत पीले होने की समस्या हो या प्याले से गायब हो रही काफी की बैतूलवी पत्रकारिता के क्षेत्र में एक पहचान बने श्री पंवार ने अपनी पत्रकारिता के 29 वर्ष मे प्रवेश है। अपने 47 वर्ष में प्रवेश करने वाले बैतूलवी पत्रकारिता के इस हमसफर का पत्रकारिता का सफर कुछ इस प्रकार रहा। वर्तमान में श्री पंवार वर्कीग जर्नलिस्ट यूनियन मध्यप्रदेश की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य , लेखक मित्र संघ के अध्यक्ष , जिले के सबसे पुराने पत्रकारो के संगठन जिला प्रेस क्लब बैतूल के उपाध्यक्ष रहने के अलावा आपने सामाजिक स्तर पर जिले की एक मात्र पंजीकृत संस्था बैतूल जिला नवयुवक पंवार समाज जाग्रति मंच , की स्थापना की तथा वे अभी इस संगठन के संरक्षक भी है। महिलाओं की प्रतिनिधि संस्था रोहिणी की स्थापना करने के साथ - साथ इस पंजीकृत संस्था के संरक्षक भी है। पर्यावरण के क्षेत्र में भी जिले की एक मात्र पंजीकृत समिति बैतूल जिला पर्यावरण संरक्षण समिति के आप संयोजक है। जिले के आठनेर जनपद क्षेत्र जंगलो एवं खेत खिलाहनो में दिखने वाले दुर्लभ काले हिरणो जिन्हे चिंकारा भी कहा जाता रहा।इन हिरणो के संरक्षण को लेकर प्रकाशित आपके आलेखो के बाद आपने जिला स्तर वन्य प्राणी संरक्षण समिति का भी गठन कर उसे पंजीकृत करवाया जिसके वे अभी जिला संयोजक भी है। उनके पर्यावरण एवं वन्यप्राणियो के प्रति किये गये कार्यो के चलते ही उन्हे पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्घारा गठित एंव मध्यप्रदेश सरकार द्घारा संचालित बैतूल जिला पर्यावरण वाहिणी के सदस्य के रूप में शामिल किया गया। आपने राज्य सरकार के पर्यावरध विभाग के इफको क्लब का भी जिले में गठन किया। सारनी ताप बिजली घर की राख से प्रदुषित हो चुकी देनवा नदी को बचाने के लिए देनवा बचाओं अभियान भी चलाया था। आपकी पत्रकारिता के क्षेत्र में सहभागिता १९७९ से नियमित रूप से प्रादेशिक एवं विदर्भ के हिन्दी दैनिक समाचार पत्रों में पत्र लेखन , १९८० से १९८३ तक पाथाखेड़ा में साप्ताहिक प्रभात किरण इन्दौर के संवाददाता के रूप में , १९८० से १९८९ तक विदर्भ के दैनिक युगधर्म नागपुर के पाथाखेड़ा संवाददाता के रूप में, १९८२ से १९८५ तक दैनिक स्वदेश भोपाल एवं ग्वालियर के लिए , १९८३ से १९८७ तक दैनिक भास्कर भोपाल, जबलपुर, इन्दौर, के लिए , १९८५ से १९८७ तक दैनिक जागरण भोपाल के लिए , १९८८ से १९९० तक नवभारत नागपुर के लिए , १९८६ से १९८७ तक नागपुर टाइम्स आंग्ल दैनिक के लिए , १९८९ से १९९१ तक हितवाद नागपुर , १९९२ से १९९३ तक दैनिक नवभारत भोपाल , २००० से आज तक मासिक विजन टूडे के मध्यप्रदेश एवं छत्तिसगढ़ ब्यूरो के रूप में कार्यरत, १९९८ से २००४ तक मासिक मधुर कथाए दिल्ली बैतूल प्रतिनिधी के रूप में कार्यरत , १९९८ से २००२ तक मासिक सच्ची दुनिया दिल्ली के लिए बैतूल प्रतिनिधी के रूप में कार्यरत , १९९० से २००४ तक दैनिक फिर नई राह भोपाल, दैनिक अफकार भोपाल , राष्टïरीय साप्ताहिक प्रंचड दिल्ली, दैनिक देशबंधु भोपाल, मासिक कर्मयुद्घ इन्दौर, मासिक धर्मयुद्घ इन्दौर, साप्ताहिक मन की चाल इन्दौर, हिन्दी साप्ताहिक दिलेर समाचार दिल्ली, दैनिक आलोक भोपाल, दैनिक एक्सप्रेस न्यूज भोपाल,एक्सप्रेस मिडिया सर्विस भोपाल, साइना न्यूज एजेन्सी भोपाल, हिन्दुस्तान समाचार फीचर्स हिफी के लिए भी काम किया। साप्ताहिक पहले पहल भोपाल, साप्ताहिक विज्ञापन की दुनिया नागपुर, १९८० से इन पंक्तियो के लिखे जाने तक हिन्दी मासिक कादिम्बनी दिल्ली, मासिक नवनीत मुम्बई , दिल्ली प्रेस प्रकाशन की पत्रिकाए सरस सलिल, गृहशोभा, चंपक, मुक्ता, सरिता, फोर्थ डाइमेंशन मीडिया प्रा.लि. नई दिल्ली की पाक्षिक पत्रिका फोर्थ डी विचार सारांश , हिन्दी पाक्षिक आऊटलुक दिल्ली , हिन्दी पाक्षिक सिनीयर इंडिया दिल्ली , मित्र प्रकाशन इलाहबाद की सत्यकथा एवं मनोरमा, नई सदी प्रकाशन की मघुर कथाए, क्राइम एण्ड डिक्टेटीव, दिल्ली, दैनिक जागरण की सत्यकथा भोपाल,मासिक मनोनित कहानियाँ दिल्ली, मासिक कंरट दिल्ली, मासिक विजन टूडे दिल्ली, मासिक नूतन कहानियाँ , सच्ची कहानिया , कुसुम परख इलाहबाद, मासिक मेरी सहेली मुम्बई, मासिक अपराध साहित्य की सुपर टाप स्टोरी दिल्ली , मासिक सच्चे किस्से,दिल्ली , मासिक आलोक सत्यकथाए भोपाल, मासिक गृहलक्ष्मी दिल्ली, मासिक डायमंड सचित्र सत्यक था दिल्ली, मासिक सच्ची दुनिया, दिल्ली ,मासिक अपराध कथाए दिल्ली, मासिक माधुरी मुम्बई सहित देश की कई ख्याती प्राप्त पत्र पत्रिकाओं में नियमीत आलेख , रिर्पोटार्ज तथा सकैड़ो कहानियां अब तक प्रकाशित हो चुकी है। वर्तमान समय में बैतूल जिले से एक पाक्षिक , एक साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन राष्टï्रीय हिन्दी दैनिक पंजाब केसरी दिल्ली के बैतूल प्रतिनिधी के रूप में कार्य कर रहे है। अपराध जगत की सत्यकथाए , समय सामायिक लेख एवं रिपोटिंग , आप ने राष्टï्रीय समाचार चैनल टाइम टी.वी. दिल्ली के लिए बैतूल जिले से रिर्पोटिंग भी कर चुके है। सारनी एवं बैतूल में स्थानीय केबल न्यूज चैनल का संपादन एवं प्रसारण भी कर चुके है।
प्रस्तुति :- सुश्री सुलेखा भोभाटकर
फीचर्स एण्ड आर्टिकल्स बैतूल
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